
बाग प्रेमी बडे लाडप्यार से अपने पेड पौधो को बढाते है। लेकीन ईनमें शत्रू किटकों को लेके बडे चिंतीत होते है। घरपे सब्जीया उगाते होगें तो यह और बडी चिंता का विषय बन जाता है। इस शत्रू किटकों मे घोंघा यह बडा शत्रू किटक है। यह दिखने में बडा गरीब लगता है। सुंदर लगता है। बडी आराम से शानदार चलता है। लेकीन बगीचे में बडा उत्पाद मचाता है। इनसे सावधान रहे.
घोंघे को तुरंत याने की युध्द की स्तर पर ईसें नियंत्रीत करे. वरना आपकी बागवानी, खेतीबाडी को नष्ट करेंगे ही लेकीन आपकी बागवानी की इच्छा को भी नष्ट कर सकती है इतनी ये घिनोनी हरकत करती है। दिखने में सुंदर है लेकीन अपने करतुदें काली है। इस लिए इसको नष्ट करना ही पर्याय है।
घोंघा ही अपनी प्रजाती को बडी तेजी से बढाती है। बागीचे में अंकुरीत होने वाले बिज, छोटे पत्तो को भी छोडती नही है। इसका मुख्य कारण है अपके मिट्टीमें केंचुए का कम होना या ना के बराबर होना. खेती बाडी में रसायनों के ईस्तेमाल से केंचुए मर गए है। ईसलिए घोंघे की संख्या बढती जा रही है। ईनको नष्ट करने के और रसायनों का ईस्तेमाल हो रहा है। ईससे मिट्टी भी निर्जीव होती जा रही है। ईसके नष्ट करने के लिए प्राकृतिक पर्यायोंकाही ईस्तेमाल करे. ईसीके बारे में ये व्हिडीओ लेके आए है। घोंघा जहरीली नही है। ईसे आप हात लगा सकते है। ये अपने सुरक्षा के लिए एक चिपचिपा स्त्राव को छोडती है। यह सुकने बाद चमकती भी है. इस किडो हात लगाना घिनोना लगता है क्यों की यह बहुतही मुलायम, चिपचिपा और इनका स्पर्श अजीब तरह का ठंडा होता है. केंचुओ और घोंघे के शरीरों में हड्डी नही रहती यह दोनों में विशेषतः है।
घोंघे अपने संरक्षण के लिए कॅल्शीयम याने के अंडे की कवच जैसा एक ढाल बनाती है। इनको मुर्गीया, भारव्दाज, बदक ही खा सकते है। जपान में इनका चेहरे की सुंदरता के लिए ईस्तेमाल करते है। यह कीड निशाचर है। रात में अपना खाना ढुंढने निकते है या अंधेरे जगह में ही रहते है। घमलों की बहरी कडी में, दिवार, पत्थर, ईटों की दरारों में रहते है। पत्तो के निचे ये रहते है। धुप, प्रकाश, गर्मी इनंको सहेन नही होती. ईसलिए थंडी जगह में, मिट्टी या छांव में रहते है। बढती गर्मी में ये सुप्तावस्था में चले जाते है लेकीन बारिश के मोसम में यह तेजीसे अपनी संख्या बढाती है। प्रतिकूल परिस्थीती में भी ये जिंदा रहता है। प्राणवायू की कमी हो या खाने की कमी हो यह अपने आप को जिंदा रख सकता है। शंख के आकार की घोंघे ये आकार में बडे होते है। और अपने पिट पर ढाल लेके घुमते है वह आकार से छोटे होते है। और कुछ छोटे घोंघे बिना ढाल के लेंकीन लंबे आकार के होते है। ईस प्रकार ईनके आकारानुरूप तीन प्रकार से जान जाते है। बिना ढाल के घोंघे बारिश के मोसम में श्वेत वर्णीय होते है तो गर्मीयों मे कृष्णवर्णीय बन जाते है। जन्म लेने वाले घोंघे के आकार यह नाखून के आकार के होते है। तो इनके बिज यह साबुदाने के आकार के होते होते है।
इन्हे प्राकृतिक तरीके सेही नष्ट करने के लिए बहोत सारे उपाय है। इनको हातो से चुन ले. यह सबस आसान और सरल तरिका है। और भी और भी यह बिना खर्चे का उपाय है। छत पर बागवानी है तो ईनको फेंक दे लेकीन ये जिंदा रहती है और कहीसे ना कहीसे वापस अपनी संख्या को बढाती है। इसलिए इनको प्लास्टिक की थैली में पॅक करे या , प्लास्टिक के बॉटल में संग्रहीत करे. कचरे की गाडी में डाल दे. या रख दे. इनका कालांतरसे खाद में रूपांतर हो जाता है।
दुसरा उपाय है। टोबॅको पावडर का ईस्तेमाल करना. इसका दो प्रकार से ईस्तेमाल कर सकते है। एक है इसका द्रावण बना ले उसमें आप घोघे को रात मे चुनचुन कर डाल दे. ईनका भी अच्छा खाद बन जाता है।
दुसरा है ईनके उपर नमक की जैसा टोबॅको पावडर को छिडक दे. टोबॅको पावडर से इनकी त्वचा को खुजली होती है। सुरक्षा के लिए चिपचिपा श्राव छोडते है यह श्राव समाप्त होने के बाद वह निर्जीव हो जाते है। जन्म लेने वाले घोंघे या बहोत ही छोटे होते है, वैसे उनके अंडी या बिज ये मोती के जैसे सफेद और गोलाकार होते है. उनको चुना नही जाता. तो उनके उपर आसानी से आप टोबॅको पावडर डाल सकते है। टोबॅको पावडर को केंचुए बढे स्वाद से खाते है। उसकी साथ टोबॅको पावडर का ईस्तेमाल खाद के रूप में पौधो को होता है। इसलिए ईसका ईस्तेमाल करने से मिट्टी या पौधो कोई भी हानी नही पंहुचती .
मिट्टी में कॅल्शीयम की कमी से ईनकी प्रजाती बढती है. कभी कबार अपनी बगीचे में खाने के चुना पानी का स्प्रे कर सकते है. चुने के तिखा गंध से भाग जाती है। रात में अपने बगीचे में घुमने जाए. वहभी सैर करने के लिए बाहर आते है। उसी वक्त उनको चुनना आसान हो जाता है।
अपने बगीचे को स्वच्छ रखे. कही कबाड ना रखे. इनको एकही जगह अगर पाना चाहते है तो मिट्टी पर फर्स का तुकडा, कपडे, ज्यूट या टाट के बोरी का तुकडा या कार्डबोर्डे बिछा दे यह जरूर उनके निचे मिल जाएंगे. घोघें को कॅबेज के पत्ते खाने में बहोत पसंत करते है। उनको बगीचे में रख दे. रात में उनकी कॅबेज की डिनर पार्टी में जमा हो जाते है। सभी एक ही वक्त पर एकही जगहपर उनको दबोच ले.
बस इतना आसान है.
संदीप चव्हाण, गच्चीवरची बाग, नाशिक.