जलवायू परिवर्तन याने की climate chage यह वर्तमान दुनिया के सामने गंभीर प्रश्न है. जलवायू परिवर्तन ये कोई नैसर्गिक आपत्ती नही बल्की मानवनिर्मित आपत्ती है जो निसर्ग को परिमानीत कर रही है..

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इसके बहोत सारे कारण है. लेकीन सबसे बडा कारण है युध्द ! भले वो दो देशो में हो या कही मित्र देशो के समुह में..  युद्ध ही जलवायु परिवर्तन बढावा देनेवाला मानव निर्मित महत्वपूर्ण और गंभीर मुद्दा हैं। युध्द ही जलवायू परिवर्तन को कैसे प्रभावित कर रहा है.. ये  दोनों मुद्दों के बारे में निम्नलिखित विचारों को साजा करे रहे.. इस विचार में सिर्फ गंभीरताही नही बल्की इसपर क्या उपाय कर सकते है.. इसके बारे में भी कुछ पर्याय दिए है..

युद्ध एक आपातकालीन समस्या नही बल्की ये सोची साजी कौशीश है.. इसमे दो देश की आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय दशा बदल के कुछ विकसीत देशो की अर्थव्यवस्था चलायी जाती है.. और इसके परमान, दर्शक बहोत सारे मिल जाएंगे..   युध्द ये हिंसात्मक प्रभावस्वरूप समस्या है, जो मानवता के खिलाफ है..  जिसमें एक देश या समूह दूसरे देश या समूह के साथ सशस्त्र संघर्ष में जुडं जाते है. युद्ध ये जल, आकाश और पृथ्वी पर होता है लेकीन सबसे ज्यादा धरती ही नुकसान देयी होती है.. युध्द धरती के अनेक भागों में उभरता है और इसके कारण प्रादेशिक असंतुलन, नुकसान, रक्तपात और जीवनों की अपरिमित हानि होती है। युद्ध कई कारणों की वजह से हो सकता है, जैसे सीमा-विवाद, भू-संपत्ति के लिए टकराव, नेतृत्व के लिए संघर्ष और धर्म, भाषा, संस्कृति और जाति के विभाजन की वजह से भी लेकीन बारकाईसे सोचे जाएं तो युध्द यह पर्याय नही है…  तो  युद्ध अभीअत्यधिक हत्यारों से होता है और उससे होने वाला विशाश भी कही गुणां  विनाशकारी प्रभाव डालता है . युद्ध के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, सभी देशों को शान्ति और सुरक्षा को प्रोत्साहित करने मे समय देना बहोत जरूरी है.. अगर हमने शांती काल में अपने रक्त को गुंधा नही तो युध्द में रक्त को बहाना पडता है..

 

युध्द के क्या क्या परिणाम होते है..

जैवविविधता और संसाधनः युध्द  में उपयोग होने वाले युद्धास्त्रों के प्रभाव से जीवनविज्ञानी प्रदूषण बढता है उससे सलंग्न वनस्पति , जिव जंतू, मानव, प्राणी और जैवविधता नष्ट हो होती है.

उद्योगिक क्षेत्रों का विनाश: युद्ध में  उच्च उद्योग और निर्माण क्षेत्रों का विनाश होता तो है लेकीन उसके साथ जुडी छोटे छोटे स्तर पर निर्माण होने वाले उद्योग, रोजगार, कुटुंब भी नष्ट हो जाते  है, जिसके परिणामस्वरूप कारख़ानों, कारख़ानों और उद्योगों के बंद होने से उद्योगीय उत्पादन में कमी हो सकती है। इसको फिर से निर्माण में धरती के ही संसाधन को नये से ईस्तेमाल किए जाते है..

पेट्रोलियम और ऊर्जा संकट: युद्ध के समय, शक्ति संयंत्रों की व्यवस्था और पेट्रोलियम संपदा को प्रभावित किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप, ऊर्जा संकट उत्पन्न होता है और इसका असर महिला, बच्चो पर ज्यादा होता है.

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युध्द जलवायू परिवर्तन को अधिक प्रभावित कर रहा है..

युद्ध जलवायु परिवर्तन पर कई प्रकारसे और गंभीरतासे प्रभाव डालता है।

यहां कुछ मुख्य कारण हैं जिनसे युद्ध जलवायु परिवर्तन पर असर पड़ता है:

औद्योगिक प्रदूषण: युद्ध में उपयोग होने वाले युद्धास्त्र, विमान, टैंक, बम इत्यादी का उपयोग होने के कारण औद्योगिक प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। इससे वायुमंडलीय विकर्षण बढ़ता है और अत्यधिक कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। तो वातावरण को प्रभावित करता है.

जंगलों की नष्ट: युद्ध में उपयोग होने वाले हताहतों, आग और अवास्तविक आग की बौछारों के कारण जंगलों की नष्टि होती है। जंगलों ने वायुमंडलीय ऑक्सीजन को शुद्ध करने, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जो सबसे ज्यादा और महत्वपूर्ण भूमिका करते है.

जल संकट: युद्ध में विनाश होते हुए नदियां, जलाशय, झीलें और जलस्रोतों के पानी की संरचना पर प्रभाव पडता है.. युध्दास्त्रो से कही मात्रा के रसायन के ईस्तेमाल से ये पाणी के स्त्रोतों को प्रदुर्षित तो करते ही है लेकीन बारिश भी जहरीली होती है.. य़ुध्द में ईस्तेमाल की जानेवाली रसायनों का प्रभाव बहोत साल तक रहता है और उन्हे सहना भी पडता है..

इससे बचने के लिए उपाय…

युध्द यह एक झुंड या गुट की मानसिकता को दर्शाती है.. जहां डिटेक्टरशीप की कही ना कही चाहत होती है.. लेकीन इसमें खुद को साबित करने में हम बहोत सारा लोगों की जान लि जाती है.. जिवन, जिदंगीया नष्ट की जाती है.. लेकीन इसकी शुरवात हमारे घर से होती है.. प्यार, खुशियां बाटने से जो कोई भी मानव हो, बच्चा हो वो जिम्मेदार बनता है.. वही बच्चा अगर बडा होके नेतृत्व करने लगेगा तो जिम्मेदारी से बर्ताव होता है..

अक्सर युध्द ये जिम्मेदारीयों ना समजने वाले, खुदपरही विश्वास न होने वाले लोग करते है और वह गुट में करते है.. तो प्यार और खुशियां बाटने और बटोरने के लिए एक कुटुंब का होना, कुटुंब के सदस्योंमे संवाद होना और संवाद के लिए बहोत सारे अवसर को ढुंढना जरूरी है..

ऐसे अवसर बहोत सारे है.. लेकीन उसमें से महत्वपूर्ण अवसर है.. गार्डेनिंग करना , खेती करना, प्रकृती से साथ जुडंना…

तो आएं हम प्रकृती से जुडे. ताकी हमारा खुदपर विश्वास बढेगा. और इसके लिए उपलब्ध जगहं में फुल, फल, औषधी एवंम सब्जियों का गार्डेनिंग करना जरूरी है..

संदीप चव्हाण, गच्चीवरची बाग, ( अर्बन फार्मिंग कंन्स्लटंट एवंम कोच)

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