रोचक कहाणी न : 2
हम कौनसे स्वभाव के मेंढक है?

हम कौनसे स्वभाव के मेंढक है?
कहाणी बडी रोचक है.
वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग के लिए दो मेंढक पकडकर लाएं. इनमेंसे एक मेंढक किसी नहर में (दुनिया जाएं. … में) मानों की नहर ही उनकी दुनिया थी. उसे जो भी, जितना भी नहर में एक जगहं मिल जाता वह खा लेता था. वह मानता थी वही बढीयां जिंदगी जि रहा है.
उनका स्वभाव कुपमंडुक टाईफ का था इस लिए उनका नाम कुपंडूक रखा गया. .
दुसरा मेंढक था सारा जंगल फिरने वाला. एक जगहं कभी बैठता नही था. खाना पाने के लिए अलग अलग प्रयास करना, खाने को ढुंढना, खाया हुआ पचाना, पचाने के बाद खाने को खोजना यह उनका दिनक्रम था. . लेकीन इस दौरान वह बहोत एक्टीव्हिटी करता था. यह करने से उसे बहोत एनर्जी मिलती थी. इसमें धोखे जरूर थे लेकीन सिखने के मौके भी तो भरपूर थे. मानो हर रोज नया कुछ सिख लेता और उसे अपना खाना खोजने में इस्तेमाल करता था. . इस लिए उनका नाम रखा गया. खोजी. (हर समय खोजने वाला)
एक दिन ये दोनो मेंढक वैज्ञानिकों हाथ लगे. उन्होनों मानवी स्वभाव पर टिप्पणी करने के लिए एक प्रयोग करने की सोची. दोनों को पाणी से भरे अलग अलग कढई में डाल दिया. और निचे से आग लगा दि. ( बूम)
पानी धिरे धिरे गरम होने लगा. कुपमंडुक स्वभाव का जो मेंढक था. वह पाणी गरम हो रहा है लेकिन ये परिस्थिती का कुछ बदलाव होगा. ऐसा समझकर वह उसी में निश्चल बैठा रहा. पानी उच्चतम डिग्री को पहुंच गया. वह वहां से हिला तक नही और वह उसी मे मर गया, ना ही कुछ हलचल की और नाही कुछ प्रयास.
दुसरा जो मेंढक था जो खोजी था. . जैसे ही उसे महसूस हुआ की पानी गरम हो रहा है. उसने तुरंत ही बाहर छलांग लगा दी अपनी जान बचा ली.
तो आप कौनसे मेंढक हो? कुपमंडूक हो जो हम भला अपना भला.
या जो खोजी हो, जो अपने आसपास क्या चल रहा है. इसका अभ्यास करने वाला. नए नए अवसंरो के तलाश ने वाला, नयी चिंजो को सिखने के लिए हमेशा तयार होने वाला.
निर्णय आपके हाथ में. समझदार को ज्यादा बताने की जरूरत नही.
हमारे साथ जुडों, सिखो, सिखाते रहो, उगाते रहो, और स्वस्थ रहो.
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