बहूगुणी अलोव्हेरा (Aloe vera) औषधी गुंणो से भरा… 

अलोव्हेरा (Aloe vera) एवंम एलोवेरा जिसे मराठी में कोरपड कहां जाता है. तो हिंदी में गवारपाटा कहां जाता है. ये एक सदाबहार पौधा है जो कम पानी में एवंम तपती धूप में भी जिंदा रहता है. ये मुख्य रूपसे आफ्रिका में पाया जाता है लेकीन इनके औषधीयं गुणधर्मों की वजह से ये विश्वभर में उगाया जाता है. इसका व्यापारिक उत्पादन लिया जाता जो ब्यूटी प्रोडक्टस और हेल्थ इंडस्ट्री में उपयोग आता है.

Grow organic

एलोवेरा के पत्ते नरम औऱ जाड रहते है. इसको दोनो बाजू में नरम कांटे के पखं होते है. यह वनस्पती बागवानी में लगाना, उगाना आसान है और इससे घरपरभी औषधी जैसा ईस्तेमाल होता है. जसे इसका रस, जेली, क्रीम, शैम्पू तयार होता है. इससे हमे उसको खा सकते है, चेहरा, स्कीन, बालों पर लगा सकते है. यह पौधा हर घर में होनाही चाहिए.

एलोव्हेरा का ईस्तेमाल भारतीय आर्युवेद मे प्राचिन काल से होता आ रहा है, लेकीन इसीके साथ युनानी, मिस्त्र, रोम, अरब के सदियों पुरानी संस्कृतीमेंभी इसका उपयोग किया जा रहा है.

एलोव्हेरा का बारे में हम कुछं सविस्तर से यहां जान सकते . 

Hot n Top gardening products

एलोवेरा का त्वचा सुरक्षा मे ईस्तेमाल:  एलोवेरा त्वचा और त्वचा संबधित अनेक रोगोंपर लाभदायी वनस्पती है.  स्कीन पर रॅशेस है, जलन हो रही है या त्वचा सुखी है तो इसका जेल आप लगा सकते है. मॉश्चराईज कर सकते है. स्कीन में नरमी बढाकर, इसे चमकदार बना देती है. धुपसे चेहरेपर आनेवाली लाली को कम कर देती है. और नमी बनाए रखती है.

पाचनशक्ती के लिए एलोव्हेरा: अगर आपको खाना पचाने में दिक्कत है, हजम नही हो रहा तो पाचनशक्ती को बढाने के लिए या संतूलित करने के लिए एलोव्हेरा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

gardenig course

बालों के स्वास्थ के लिए एलोव्हेरा का ईस्तेमाल: बालों को एलोव्हेरा का ईस्तेमाल से बालों को मजबूती प्रदान करती है. चमकदार बनाती है और  तरल बनाती है. कोई भी रासायन से बने हेअर शॅम्पू से एलोव्हेरा का ईस्तेमाल १०० टक्का गुणकारी है. इसे सिर को लगाने से डेडंरफ और सिर की खाज खूजली निकल जाती है.

कैसे खाएं:  बहोत सारे लोग एलोव्हेरा को घर पर लगाते है, विविध रोगोंमें ईस्तेमाल करते है लेकीन उनको परिणाम नही आते या परिणाम आने में वक्त लगता है. इसका प्रमुख कारण है उसको गलत तरिके से ईस्तेमाल करना. बहोत सारे लोग उपर का छिलका निकाल देते है. और अंदर गिलोय को खाते है.. कोई कोई लोग तो कडवा है इसलिए उसमें शक्कर मिलाते है. ये दोनो तरिके गलत है. एक तो उसके हरे छिलके मेंही गुण है. और दुसरा कडवाट में गुण है. उसमें शक्कर मिलाते है याने के सल्फर मिलाते है इससे उसके औषधी गुणधर्म कम हो जाते है. तो उसे वैसाही ईस्तेमाल करे.

ऐसा करे इस्तेमाल और समय बचाएं: घरपर अगर एलोव्हेरा का ईस्तेमाल कर रहे है तो उसको अछ्ची तरह पाणी से धो ले. उसके तीन चार तलवे के आकार के तुकडे कर ले ताकी उसको पकडने में आसानी हो, उसके बाद उसके स्लाईज कर ले.ये स्लाईज वैसही खा सकते है. या स्कीन पर, बालों में ईस्तेमाल करना है तो उसको वैसैही रगडे या मिक्सर मे से निकालकर व जैली लगाएं.  परिणाम जल्दी सामने आते है.

gardening products

कैसे पहचाने:  एलोव्हेरा में बेहोत सारे प्रकार है. लेकीन याद रहे कडवी जरूर है लेकीन जहरीली कोई भी नही है. तो इसमें दो प्रकार पडते है. एक ज्यादा कडवी और दुसरी कम कड़वी.  ज्यादा धूपमें रहेनेसे भी एलोव्हेरा कडवी बन जाती है. जो छांव है वो हरी दिखती है उसमें ज्यादा जेली रहती है.

बवासिर और पाईल्स में उपयोगी: अगर बवासिर और पाईल्स की शुरूवात है तो एलोव्हेरा का ईस्तेमाल रामबाण उपाय है. उसे रोज सुबह जितना हो सके उसे नास्ते के पहेले खाएं. या हर रोज नास्तें में इसकी मात्रा बढाएं. आपको एक घंटे के बाद शौच आएगी. ईससे पेट जमी हूई पुरी गर्मी निकल जाती है. और आपको बवासिर और पाईल्स में आराम मिलेगा. ऐसे रोगों में बहोतसारे उपाय है, लेकीन ये भी कारगर साबित होता है. इसके साथ और कुछ पथ्थ को जरूर पालना पडता है. जैसे की तिखा, रस्सेदार, मसालेदार सब्जी नही खांना, मांस मच्छी को खाने को टांले.

gardening books n E books

पिपंल्स में भी उपयोगीः ईसको खाने से चेहरे पर जो पिपल्स है हो कम होते है और उसपरभी ईसको लगा सकते है. आपको अगर पिपंल्स है तो कोईन रसायन से बनी क्रिम ईस्तेमाल ना करे ईससे त्वचा रोग की संभावना होती है. लेकीन एलोव्हेरा ये प्राकृतिक रहने की वजह से ईसके दुष्परिणाम नही होता.

पौधा कैसे लगाएं: ये पौधा घर के घमलो में, सगूणा ग्रो बॅग में भी लगा सकते है. कहीं से भी एक पौधा लेके आएं इसके महिने देड महिनें में दो चार पौधे बन जाते है. उसको आसानी से निकालकर उसे और कही जगहं पर बढा सकते है.

इसको अंशत रूपसे या खुली धुपमें रखा तो भी चलता है. ज्यादा तापमान में ये रंग बदल लेता है लेकीन कम तापमान में हराभरा रहता है,

work form home

 

इसकी देखभाल कैस करे: इसको ज्यादा पानी ना दे. ये हर एक मिट्टी के प्रकार में उगता है. बहरता है. एक समय में एक बॅग एवंम घमले में एकही एलोव्हेरा को बढाएं. क्योंकी एक ही जगहं में ज्यादा होने के कारण अच्छी तरह बढते नही है. तो भी उसे फ्रेंच फ्राय की तहर कच्ची खानी पडती है. शुन्य लागत और शुन्य देखभाल का पौधा है और खेती भी कर सकते है.

व्यापारी उत्पादन:  एलोव्हेरा का उत्पादन बडे पैमाने पर किया जाता है. बंजर जमिन, कमी पानी मेंभी ये ज्यादा उत्पादन देता है. लेकीन इसका उत्पादन लेने के पहेले कोई भी अच्छी कंपनी  जो इसका बाय प्रोडक्टस बनाते है उसके साथ आपका कॉन्ट्रॅक्ट होना जरूरी है. इसका इस्तेमाल औषध निर्मान, हेअर एवंम स्कीन याने ब्यूटी इंडस्ट्री में ईस्तेमाल किया जाता है.

 

Organic Farming course

कंपनीयो की पहेचान: एलोव्हेरा के संबधीत कुछ कंपनीया प्रोडक्टस बनाती है. जैसे की ममाअर्थ, पंतजली, हिमालया, निव्हेआ, डॉ, रेशेल जैसी कंपनी ईसका विश्वभर में उत्पादन एवंम सेल करती है. आप ईसका भी आप ईस्तेमाल कर सकते है.

संदीप चव्हाण, गच्चीवरची बाग, नाशिक.

(अर्बन फार्मिंग कन्स्लटंट एवंम कोच)

===========================================

स्मार्ट उदयोजक सविस्तर माहितीसाठी क्लिक करा.