गो सेवा गतिविधी


दि. २४ ऑक्टोबर २०२१ रोजी, शंकाराचार्य़ न्यास, नाशिक या ठिकाणी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत व्दारे गोसेवा गतिविधी यावर एक दिवसीय कार्यक्रम होत आहे. या कार्यक्रमात दुपारच्या सत्रात गच्चीवरची बाग अर्थात शहरी शेती व गायीचे महत्व  या विषयावर आधारित स्लाईड शो प्रदर्शन होत आहे.

या एक दिवसीय कार्यशाळेत देशी गायीचे अर्थव्यवस्थेतील, दैंनदिन आरोग्यातील महत्व, तसेच शेतीतील महत्व, तिचे फायदे  व संगोपन या विषयावर विविध मान्यवरांची विचार मांडणी होणार आहे.

पत्ताः शंकराचार्य न्यास, थोरात हॉल जवळ, गंगापूर रोड, नाशिक.

सहभागी होण्यासाठी संपर्क साधाः श्रीनिवास गायधनी, 9423924007

कार्यक्रम पत्रिका पुढील प्रमाणे…

Its TRULY GROW CHEMICAL free VEGETABLE


Sandeep Chavan with Home grow vegetable.
Sandeep Chavan with home Grow vegetable

आम्ही गच्चीवर बाग फुलवून देतो. पण हे सर्वच खरचं रसायमुक्त असते का… या साठी कोणतेच रासायनिक औषधे वापरली जात नाही का असे प्रश्न विचारली जातात.

हो हे खरयं. आम्ही वाफे भरण्यासाठी नैसर्गिक संसाधनाचा वापर केला जातो. त्यात सुरवातीला कुठेही व नंतरही भाज्या उगवतांना रासायनिक खताचा, औषधांचा वापर ही केला जात नाही. एक वेळ भाज्या कमी आल्या (खरे तर असे होत नाही) किंवा नाहीच आल्या तरी त्यात रसायनांचा वापर आम्ही करत नाही व करू देत नाही. कारण सुंगधी माती तयार होणे खूप गरजेचे असते. बरेचदा कीड वाढते अशा वेळेसही आम्ही गोमय आधारीत औषधांचा, किड वेचण्याचा, मानवी हस्तक्षेपाचा पर्याय निवडला जातो पण रासायनिक अंश कुठेही वापरली जात नाही. आम्ही पंचस्तरीय पध्दतीने भाज्याचे प्रकारांचे लागवड करतो. तसेच Vegetable Forest (भाजीपाल्यांचे जंगल) तयार करावयाचे तत्व वापरतो. जी पधद्त जंगलात निसर्ग वापरत असतो. तर अशा प्रकारे आम्ही नैसर्गिक पधद्तीने भाज्या उगवतो. म्हणूनच आम्ही आपल्या डोळ्यासमोर उगवून दिलेल्या भाज्या या चविष्ट व समाधान देणार्या व आरोग्यदायी असतात. ज्या आम्ही संजीवन औषध म्हणून उगवतो.

संदीप चव्हाण, गच्चीवरची बाग, नाशिक.

Needs to equipments/ funds


vertical garden 1 1 (1098)संदीप चव्हाण, नाशिक, महाराष्ट्र में रहते है। पिछले चार साल से गारबेज टू गार्डन तंत्र को लेकर नाशिक में जहर से मुक्त सब्जिया और बागवानी बनाने के लिए लोगोंको प्रेरीत करते है। उनका सपना है की लोग अपने छोटी छोटी कौशिसे व्दारा जहर मुक्त सब्जिया घरपर ही उंगाये, पर्यावरण का खयाल रखे और निसर्ग के साथ जुडे रहे। इसलिए खेती की जरूरू नही है। शहर में जो भी जगह उपलब्ध है जैसे की (पंराडा, टेरेस, बाल्कनी, विंडो) उसीमें उपलब्ध नैसर्गिक संसाधनो (किचन वेस्ट, सुखे पत्ते,)  के साथ और जो भी उपलब्ध वस्तूंए में बागवानी करने के लिए प्रेरीत करते है। आज शहर में डंपीग ग्रांऊड की समस्या बढ रही है। अगर लोगों ने इस तरह किचन वेस्ट का जगह ही पर उसका सुखाकर इस्तेमाल किया तो डंपीग ग्रांऊड की समस्या नही रहेगी। और यह एक कारगर व आसान तरीका है। किचन वेस्ट का कंपोस्टिंग बनाने की कोई जरूरी नही.. ऐसा उनका कहना है। खाद बनाना यह प्राकृतिक के खिलाफ है और उसमें समय का गवाना है यह उनका मानना है।

इसलिए वह पिछले १२ साल से प्रयत्न कर कर रहे है। इस प्रयत्नों के पिछले चार साल में अपने परिवार के लिए उपजिवाका का माध्यम बनाया है। उनके साथ उनका परिवार और दो लोगों को भी रोजगार की प्राप्ती होती है।

जहर मुक्त खेती की आज बहूत जरूरी है। इसके बारे में लोगों को जागृत करना और निसर्ग के प्रती उनका सहयोग लेना जरूरी समजते है। इसलिए उन्होंने एक देशी नस्ल की गाय पाली है। उसीके गोमुत्र और गोबर से टेरेस फार्मिंग में उपयोग करते है।  इस काम को गती मिलने के लिए लंबे प्रयोसो के बाद एक चार पैयावाली गाडी खरेदी है। उसीसे थोडा आसानी हो गयी है। लेकीन यह सब कर्जा है। और कुछ कुछ करना है। उसके लिए और कर्जा मिलना मुश्किल है। और उनके सपने की कडी में कुछ साधनों की कमतरता है। अगर निचे नमुद कियें हुंए साधन का जुगाड हो जाता है तो  में पर्यावरण के क्षेत्र में लोगोंका और बडी मात्रा में सहयोग ले सकत है। और अपनी सिंमेंट की निस्तेज वंसुधरा को हरे हरे रंग के कुछ रंग भरना चाहते है।

  • Petrol Shredder machine 65000/- छत पर बागवानी के लिए 80 % बायोमास ( नारियल के छिलके, गन्ने का छिलके, पेड पौध्दे के पत्ते, सुका हुआ किचन वेस्ट और 20%  मिट्टी और खाद का उपयोग करते है। उपरोक्त मशीन व्दारा जो भि बायोमास लोगोव्दारा फेका या जलाया जाता है। उनको क्रश करके उपयोग कर सकते है। इससे दो फायदे है। एक  कम जगह में जादा से जादा संग्रहीत कर सकते है। और ट्रान्सपोर्ट के लिए सुविधा होगी।
  • किताब प्रकाशन 75000/- अब गच्चीवरची बाग ( टेरेस फार्मिंग) ये किताब की व्दितीय आवृत्ती प्रकाशीत करना चाहते है। जो स्वः एक प्रशिक्षण पुस्तिका की तरह होगी। ताकी इसे पढकर इच्छुक लोंग अपने घरपे ही किताब पढकर छत पर बागवानी कर सकते है। इससे पर्यावरण के क्षेत्र में बढा काम खडा रह सकता है।
  • बफींग machine 10000/- मंदीर से जमा किए नारियल के कठीण कवच से मैं किचेन्स बनाना चाहते है। कुछ चिंजे हातोसेही बनायी है इसमें बहोत सारा वक्त लग जाता है। उपरी मशीन अगर मिल गयी तो मैं कोकोनट शेल से अलग अलग चिंजे बना सकते है। जो पर्यावरण पुरक होगी। और स्थानिक महिलांए के लिए रोजगार की प्राप्ती होगी।

Total amt: 150000/-(1.5 lakh)

उनके कार्यपर युट्यूब पर एक फिल्म है उसे हर रोज २५० लोग देखते है। इसी विषय में मैने लोकसत्ता इस वर्तमान पत्र में एक साल कॉलम लिखा है। इसी काम की विविध माध्यमों व्दारो समाचार पत्र में जीवन परिचय प्रकाशित हुए है।

www.gacchivarchibaug.in

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