एकीकृत कीट प्रबंधन कैसे करे…

प्रकृती सब जिव जंतूओ को पनाह देती है. हर एक को जिने का फलने फुलने का मोका देती है. इनमेंसे कोई मानव के लिए याने बागवानी या खेती के लिए मित्र कीटक रहते है तो कोई शत्रू किटक रहते है.किटक भी एक दुसरे के भक्ष्य ( खाना) होते है. शत्रू किटकों के शत्रू वो अपने मित्र है. इनिके उपयोग को एकीकृत कीट प्रंबधन में महत्व है.

एकीकृत कीट प्रबंधन याने की एकात्मिक कीड नियंत्रण (integrated pest control) एक प्रभावी और कारगर तरीका है.  जिसका उद्देश्य पेड़-पौधों, फल बागानों, सब्जी बागानों और खेतों में विविध कीटों के प्रबंधन को सुनिश्चित करना होता है। यह वैज्ञानिक और पर्यावरणीय मानदंडों का उपयोग करके संपन्न होता है। एकीकृत कीट प्रबंधन में कीटाणुओं के नियंत्रण के लिए विभिन्न उपायों (घरेलू एवंम सयंत्रो याने डू इट युवरसेल्फ (DIY) कीट का समावेश होता है, जिसमें रसायनिक औषधियों का प्रयोग नही के बराबर होता है.  और सारे उपाय जैविक तत्वों, पर्यावरणीय घटकों और नियंत्रण के ग्यान का उपयोग करके किये जाते हैं।

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एकीकृत कीट प्रबंधन के महत्वपूर्ण उपाय है, और वह बाग और खेती में कीटों को नियंत्रीत करने में मदद करते है. यह उपाय प्रकृतीनेही हमे प्रदान किए है तो कुछ हमें खुद करने पडते है. इनको हम विस्तार से जानेंगे.

  • मिट्टी की उर्वरकता को पहचोनों: बागवनी या खेती करते समय ध्यान रखना जरूरी है की मिट्टी की उर्वरकता कैसी है. मिट्टी का रूप एवंम स्वभाव कैसा है. उसकी उपर हम घमले भरने या खेती में धान उपज का विचार कर सकते है. बागवानी कर रहे है तो उपलब्ध मिट्टी में घमलों को कैसे भरना है ये समझना पडेगा. चाहे वो मिट्टी बंजर हो, काली हो, लाल हो या रेतीली हो. इसके उपर ही घमलों को भरने का तरिका तय होता है. घमलो को भरने के लिए भारत वर्ष में अलग अलग तरिके है जैसे खानपान में विविधता है. लेकीन एक भयानक तिरका भी है जो ऑनलाईन खरीदा या बेचा जाता है- इसमें सिर्फ प्रोडक्ट का लेन देन होता है.. मार्गदर्शन कोई नही करता. इसलिए बागवानी के इच्छुक, प्रयोगशील लोग अकेले पड जाते है)

 

  • बंजर मिट्टी, काली मिट्टी, लाल मिट्टी, रेतीली मिट्टी को अलग अलग प्रमाण में पॉटींग मिक्स बनाया जाता है. इसके अलावा भी उपलब्ध संसाधनों में जो भारतवर्ष में हर जगहं उपलब्ध है. उससे भी घमला या ए.बी.बी. बेड का सेटअप कर सकते है और पॉटींग की तरीके बारे मे यंहा सविस्तर लिखना जगह की कमतरता के कारण असंभव है. इसलिए आपको, गच्चीवरची बाग का ऑनलाईन कोर्स को जॉईन करे) मिट्टी का सही चयन ही पौधों को कीटंको आकर्षित करना या दूर करना ये निर्धारित करती है क्यूं की यहां पानी की धारणक्षमता तय होती है.

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  • पाणी का नियंत्रण महत्वपूर्ण है : तो मिट्टी की उर्वरकता के अनुसार घमलो में पाणी पकडने की क्षमता होती है. और पानी के सही या गलत मात्रा परही पौधे का जिवन तय होता है. जैसे पानी हमारी पाचन शक्ती में मदत करती है वैसेही पौधों के लिए पानी की मात्रा काम करती है. पाणी की कम ज्यादा मात्रा पौधों को ताकदवान वा कमजोर करती है. और यही मुद्दा कीटकों को पनाह देना या भगा देना तय होता है.

 

  • पोषक तत्वों को सुनिश्चित करे: हर पौधो का जिवन, उसको फलकों संख्या, उनकी जिवनकाल यह अलग अलग है. उनको उचित मात्रा में पोषक तत्वं मिले तो वह पेहलवान बनते या जादा हुई तो कीटकों की शिकार होते है.

 

  • कीटींणूको समझो: प्रकृती में या बागवानी में आनेवाले सारे कीटकं हमारे शत्रू नही होते, कोई मित्र भी होते है. लेकीन रासायनिक खादं और औषध के उपयोग से शत्रू किटक के साथ साथ मित्र किटक भी मारे जाते है. तो बात भी हमे मित्र किटकों कैसे बचाएं. शत्रु किटकों को मार दिया जाय.. या छोड दिया जाय? तो उनकी भूमिका भी महत्व पूर्ण है इसलिए उनको छोड देना ही फायदेमंद है. तो उनको भगाने के लिए हमे अलग अलग उग्र गंध की होममेड औषधीयों का उपयोग करना पडता है.

 

  • प्रकृती की देन: शत्रू किटक हे कम आयू वाले और गंध को गतीसे समझने वाले होते है. उनकी प्रकृतीने रचनाही वैसे की है. तो उनको भगाने के लिए हमें उग्र गंध की औषधी वनस्पती का लगाना, उगाना जरूरी होती है. इनके उपस्थिती में शत्रू किटकी प्रजनन क्षमता खतम हो जाती है और वह नियंत्रण में आ जाते है.

 

  • DIY उपाय: घर पर ही विविध सांधनो का, संसाधन का उपयोग करके छोटे छोटे यंत्र बनाएं जाते है. वह आसान भी है. हर कोई घर पर तयार कर सकता है. वह भी कम लागत में. या शुन्य खर्च में.

  • उग्र गंधवाली वनस्पती… उग्र गंधवाली वनस्पती हमे बागिचे में एक सुयोनियोजित तरिके से लगाने पडते है या उनकी जगह तय करनी पडती है. अगर हमने एकही रेषामें एकही वनस्पती को उगांया तो शत्रू कीटक उनपें कम समय में हावी हो जाते है. पौधो को बरबाद कर देती है. इसके लिए अलग अलगी वनस्पती उगांना, बढाना जरूरी है.

 

इन सभी मुद्दों विचार करके उसका उपयोग की तो बागवानी या खेती में कीटंको का प्रंबधन आपसे आप हो जाता है. ज्यादा मेहनत या पापड बेलने की जरूरत नही होती. इससे बागवानी आनंददायी और मजेदार होती है. तो आईएं हमसे जुडें रहे. सिखते रहे. उंगाते रहे, स्वस्थ रहे.

 

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संदीप चव्हाण, अर्बन फार्मिंग ( कन्स्लटंट एवंम कोच)

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By Gacchivarchi Baug Nashik

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