बेस्ट फ्रॉम वेस्ट का गार्डेनिंग में ईस्तेमाल कैसे करे?

किचन वेस्ट का अलग अलग तरह से इस्तेमाल करने से मिट्टी उपजावू बनती तो उसीके साथ उत्पादनशील भी बनती है.


गार्डनिंग करते समय बेस्ट फ्रॉम वेस्ट काफी महत्वपूर्ण है। गार्डनिंग के लिए जो मिट्टी हम इस्तेमाल करते हैं, उसमें पोषक तत्वों का सही समावेश होना बहुत जरूरी होता है। मिट्टी की उरर्वकता को बढाने के लिए जैविक कचरे का उपयोग करना बहोत ही महत्वपूर्ण है..  किचन वेस्ट का अलग अलग तरह से इस्तेमाल करने से मिट्टी उपजावू बनती तो उसीके साथ उत्पादनशील भी बनती है. बेस्ट फ्रॉम वेस्ट से हम घर में उपलब्ध नकारात्मक चीजों जैसे कि पेपर, फल और सब्जी के छिलकों, आदि से गार्डनिंग में उपयोगी खाद और कीटनाशक बना सकते है. भरपूर कंपोस्ट बना सकते हैं।

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इससे हम सस्ते तरीके से अपनी मिट्टी को उन्नत बना सकते हैं जिससे हमारे पौधे अधिक संवेदनशील बनते हैं। इसके अलावा, यह भी हमारे घर में नकारात्मक चीजों का निस्तारण करता है जो हमारी स्वच्छता को भी बढ़ाता है और स्वच्छता से ही मन की प्रसन्नता बढती है. इसलिए, बेस्ट फ्रॉम वेस्ट एक संरक्षक और पर्यावरण के लिए स्वास्थ्यपूर्ण तरीका होता है।

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संदीप चव्हाण, गच्चीवरची बाग, नाशिक. महाराष्ट्र, इंडीया से…

गच्चीवरची बाग म्हणजे?


ठिकाण : नाशिक

http://www.gacchivarchibaug.in

ई-मेल : sandeepkchavan79@gmail.com

भ्रमणध्वनी : ९८५०५६९६४४

विद्यमान जिल्हा : नाशिक शिक्षण : B.A. M.C.J.

कंपनीचे नाव : गच्चीवरची बाग

उत्पादने/सेवा : सेंद्रिय भाज्यांची गच्चीवरील बाग

गच्चीवरची बाग म्हणजे शहर, गाव यातील उपलब्ध जागेत, उपलब्ध वस्तूत, उपलब्ध नैसर्गिक स्त्रोतांव्दारे शुन्य खर्चात सेंद्रिय पध्दतीने घरच्या घरी भाजीपाला पिकवणे होय. या विषयी इच्छुकांना सोशल मिडीयाव्दारे मोफत मार्गदर्शन करणे त्यातून इच्छुकांना प्रेरीत करणे होय. माझ्या या आयुष्याबद्दल, जगण्याबद्दल तसेच या समाजाबद्दल माझं सुध्दा एक स्वप्न आहे. आज माझे स्वप्न आपल्याला सांगण्याची योग्य वेळ आहे असे मला वाटते. कारण येत्या 31 मार्च 2016 रोजी गच्चीवरची बाग या सामाजिक उद्मशीलतेला एक हजार दिवस पूर्ण होत आहेत. कोणत्याही नव्या संकल्पनेला एक हजार दिवस पूर्ण होणे ही उद्मशीलतेच्या जगात मोठी गोष्ठ मानली जाते. गच्चीवरची बाग या सामाजिक उद्मशीलतेला आकार देतांना अनेक मित्रांनी, मैत्रणींनी, समवयस्क, विचारवंत, समाज सुधारक, पर्यावरण प्रेमी, उद्योजक, पत्रकार, प्राध्यापक, गृहणी, जेष्ठ नागरीकांनी मदत केली आहे. प्रथम मी समाजातील सर्वच घटकांचे आभार व्यक्त करतो. या सामाजिक संकल्पनेला सुरवात करतांना उपजीवकेचा मुद्दा लक्षात घेतला होताच पण त्याला एक उद्मशीलतेचे मुल्य जोडले जाईल की नाही, लोक त्याचे किती स्वागत करतील याची शंका मात्र मनात होतीच. पण ती शंका निरर्थक होती असे आज मागे वळून बघतांना वाटते. अर्थात याचे सारे श्रेय समाजाचेच आहे. अशा या गच्चीवरची बागे विषयी माझे स्वप्न पुढीलप्रमाणे…. गारबेज टू गार्डन अर्थात कचर्यातून इच्छुकांना गच्चीवरची बाग फुलवण्यासंदर्भात फेसबूक, व्हॉटसऑप सारख्या सोशल मिडीयाव्दारे मोफत मार्गदर्शन करणे, लोकांनी घरच्या घऱी भाजीपाला पिकवण्यासंदर्भात सहज सोपे समजेल असे साधे पण विज्ञान आधारीत तंत्र विकसीत करणे, शुन्य खर्च, शुन्य देखभाल व बाजारमुक्त साधनांचा वापर करणे, त्याविषयीचे ज्ञान उपलब्ध करून देणं. यासाठी उपलब्ध जागा, उपलब्ध वस्तू व उपलब्ध नैसर्गिक स्त्रोताव्दारे बाग फूलवणे… ज्याव्दारे परिसर स्वच्छता तर साधली जाईल पण त्यातून नैसर्गिक पध्दतीने भाजीपाल्याची बाग फुलवता येईल. भाजीपाल्याची बाग फुलवण्यात थोडे श्रम घेतले तर त्याबदल्यात 100 टक्के आनंद, समाधान मिळेलच. बोनस म्हणून रसायनमुक्त भाजीपाला सेवन करता येईल. लोकांना चांगले, सकस अन्न खायाला मिळावे व त्यासाठी लोकांनी स्वतःच प्रयोगशील व्हावे यासाठी प्रेरीत करणे. चांगल्या अन्नाच्या सेवनाने शाकाहार वाढीस लागतो. त्यामुळे भविष्यात शाकाहार वाढावा यासाठी प्रयत्तरत आहे. परिसर स्वच्छ ठेवा असे सांगीतले तर लोक ही हजार सबबी सांगतील पण सुका ओला कचर्याचे वैज्ञानिक पध्दतीने व्यवस्थापन केल्यास त्यातून निसर्ग फूलवता येतो. तसेच काही केल्याने काही मिळतय आणि तेही आरोग्यदायी आहे असे पटल्यावर लोक कृतीशील होतात. अशी ही गच्चीवरची बाग घराघरात पोहचायवयांचे माझे स्वप्न आहे. येत्या काळात गच्चीवरची बाग हे साधे सोपे तंत्र शिकवणारे स्वःअनुभवाधारीत पुस्तक घराघरापर्यंत पोहचवणे, तसेच इच्छुकांना भाजीपाला बाग फुलवून देणे, किचन व गार्डन वेस्ट व्यवस्थापनाच्या विविध सोप्या, बिन खर्चिक उपाय शोधणे व या सार्या उपक्रमातून लोकांना शिकतं करणे हे माझे स्वप्न आहे. घरातील व परिसरातील कचरा व्यवस्थापन करून एक जबाबदार, सुजाण नागरिक म्हणून आपले कर्तव्य निभवावे असे मला वाटते. आपले आयुष्य हे निरोगी व आरोग्यदायी व्हावं तसेच आयुष्य वाढावं …या धावपळीच्या जगात निसर्गालाच आपला मित्र बनवून त्यात आपले अशांत मन शांत करावे. त्यासाठी निसर्ग हाच सर्वेत्तम उपाय ठरावा. तसेच वाढत्या शहरातील सिमेंटच्या जंगल हे हिरवेगार व्हावे असे स्वप्न आहे व हे जीवन रंगीत, चवदार, आरोग्यदायी, हिरवेगार, टवटवीत व्हावे व या आनंदयात्रेत समाजानेही सहप्रवासी व्हावे हे माझं स्वप्न आहे. अर्थात ही स्वप्न साखळी एकमेंकात गुफंली आहे. याची पहिली कडी अर्थात गच्चीवरची बाग फुलवण्यातूनच होणार आहे. ती प्रत्येक शहऱातील प्रत्येक घरात, गच्चीवर फुलावी हे स्वप्न घेवून मी काम करत आहे. अर्थात यात आपलीही मदत हवीच आहे.

गच्चीवरची बाग पुस्तक:https://imjo.in/fnnJUX
सविस्तर वाचण्यासाठी या लिंकवर क्लिक करा : http://www.gacchivarchibaug.in

Needs to equipments/ funds


vertical garden 1 1 (1098)संदीप चव्हाण, नाशिक, महाराष्ट्र में रहते है। पिछले चार साल से गारबेज टू गार्डन तंत्र को लेकर नाशिक में जहर से मुक्त सब्जिया और बागवानी बनाने के लिए लोगोंको प्रेरीत करते है। उनका सपना है की लोग अपने छोटी छोटी कौशिसे व्दारा जहर मुक्त सब्जिया घरपर ही उंगाये, पर्यावरण का खयाल रखे और निसर्ग के साथ जुडे रहे। इसलिए खेती की जरूरू नही है। शहर में जो भी जगह उपलब्ध है जैसे की (पंराडा, टेरेस, बाल्कनी, विंडो) उसीमें उपलब्ध नैसर्गिक संसाधनो (किचन वेस्ट, सुखे पत्ते,)  के साथ और जो भी उपलब्ध वस्तूंए में बागवानी करने के लिए प्रेरीत करते है। आज शहर में डंपीग ग्रांऊड की समस्या बढ रही है। अगर लोगों ने इस तरह किचन वेस्ट का जगह ही पर उसका सुखाकर इस्तेमाल किया तो डंपीग ग्रांऊड की समस्या नही रहेगी। और यह एक कारगर व आसान तरीका है। किचन वेस्ट का कंपोस्टिंग बनाने की कोई जरूरी नही.. ऐसा उनका कहना है। खाद बनाना यह प्राकृतिक के खिलाफ है और उसमें समय का गवाना है यह उनका मानना है।

इसलिए वह पिछले १२ साल से प्रयत्न कर कर रहे है। इस प्रयत्नों के पिछले चार साल में अपने परिवार के लिए उपजिवाका का माध्यम बनाया है। उनके साथ उनका परिवार और दो लोगों को भी रोजगार की प्राप्ती होती है।

जहर मुक्त खेती की आज बहूत जरूरी है। इसके बारे में लोगों को जागृत करना और निसर्ग के प्रती उनका सहयोग लेना जरूरी समजते है। इसलिए उन्होंने एक देशी नस्ल की गाय पाली है। उसीके गोमुत्र और गोबर से टेरेस फार्मिंग में उपयोग करते है।  इस काम को गती मिलने के लिए लंबे प्रयोसो के बाद एक चार पैयावाली गाडी खरेदी है। उसीसे थोडा आसानी हो गयी है। लेकीन यह सब कर्जा है। और कुछ कुछ करना है। उसके लिए और कर्जा मिलना मुश्किल है। और उनके सपने की कडी में कुछ साधनों की कमतरता है। अगर निचे नमुद कियें हुंए साधन का जुगाड हो जाता है तो  में पर्यावरण के क्षेत्र में लोगोंका और बडी मात्रा में सहयोग ले सकत है। और अपनी सिंमेंट की निस्तेज वंसुधरा को हरे हरे रंग के कुछ रंग भरना चाहते है।

  • Petrol Shredder machine 65000/- छत पर बागवानी के लिए 80 % बायोमास ( नारियल के छिलके, गन्ने का छिलके, पेड पौध्दे के पत्ते, सुका हुआ किचन वेस्ट और 20%  मिट्टी और खाद का उपयोग करते है। उपरोक्त मशीन व्दारा जो भि बायोमास लोगोव्दारा फेका या जलाया जाता है। उनको क्रश करके उपयोग कर सकते है। इससे दो फायदे है। एक  कम जगह में जादा से जादा संग्रहीत कर सकते है। और ट्रान्सपोर्ट के लिए सुविधा होगी।
  • किताब प्रकाशन 75000/- अब गच्चीवरची बाग ( टेरेस फार्मिंग) ये किताब की व्दितीय आवृत्ती प्रकाशीत करना चाहते है। जो स्वः एक प्रशिक्षण पुस्तिका की तरह होगी। ताकी इसे पढकर इच्छुक लोंग अपने घरपे ही किताब पढकर छत पर बागवानी कर सकते है। इससे पर्यावरण के क्षेत्र में बढा काम खडा रह सकता है।
  • बफींग machine 10000/- मंदीर से जमा किए नारियल के कठीण कवच से मैं किचेन्स बनाना चाहते है। कुछ चिंजे हातोसेही बनायी है इसमें बहोत सारा वक्त लग जाता है। उपरी मशीन अगर मिल गयी तो मैं कोकोनट शेल से अलग अलग चिंजे बना सकते है। जो पर्यावरण पुरक होगी। और स्थानिक महिलांए के लिए रोजगार की प्राप्ती होगी।

Total amt: 150000/-(1.5 lakh)

उनके कार्यपर युट्यूब पर एक फिल्म है उसे हर रोज २५० लोग देखते है। इसी विषय में मैने लोकसत्ता इस वर्तमान पत्र में एक साल कॉलम लिखा है। इसी काम की विविध माध्यमों व्दारो समाचार पत्र में जीवन परिचय प्रकाशित हुए है।

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